7 Sept 2014

Self Confidence

                           Self Confidence 



असमानों की बुलंदियों जितने हौसले लेकर चली मै, अपनी मंजिल की ओर |
रास्तो मै आई कई अडचने फिर भी हौसला जो था
वो कम न हुआ |
पत्थर को देकर जवाब तोड़ा कुछ इस तरह शब्दों से अपने
दुबारा उठ न सका वो ,
चट्टानों के हौसले लेकर बनाई अपनी जगह कुछ  इस तरह हो गया अमीट नाम मेरा ,
जहाँ छोड़ी छाप व्यक्तित्व की अपनी |
सूरज की रौशनी लेकर प्रज्जवलित किया अपना भविष्य सुनहरा , लिख दिया हरी कलम से ,
अपना जीवन का सवेरा |

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यूँ तो काली राते आई बहुत , कुछ पल हुई आंखें ये नम, कुछ पल लगा ये खाली दिल
पर देखा जब उस सूरज को मैंने ,
देता सबको वो उजियारा खुद जलकर अपनी आग में  ,
करता वो रहता सवेरा |
सोच लिया उस पल मैंने ज़िन्दगी जीने का नहीं ज़िन्दगी देना का नाम है |
दो चाहे ज़िन्दगी नयी अपने आप को या इस कायनात को ,
पर हर डगर करना अपना नाम अमर |
उस पल सोच लिया मैंने हर पल किसी को ज़िन्दगी नई देना |
हर पल एक नई लहर को जन्म देना |