6 Jun 2016

तेरा एहसास.....

साहिल ,

शाम का बढ़ता अँधेरा तेरे चेहरे के उजाले से रौशन हो जाता है, 
तुझमे समाता है दिल मेरा, तो कभी समंदर के किनारों में ढूंढता है तेरा आशियाना 
इस दिल की ख़्वाहिश तो हर पल तेरे होने का सुकुन महसूस करना है,
ये एहसास और कुछ नहीं, मेरी ज़िन्दगी जीने का वजूद है!

तेरे सपने सजाए थे कभी इन नन्ही आँखों ने, जब दिल ने दिल को समझा था!
तेरा अक्स बुना था मैंने अपने ख्वाबो के धागो से, जब तेरा एहसास ही मेरा सबकुछ था!
अकस्मात् ही टकरा गया तू मुझसे इस भीड़ भरी दुनिया में!
सुकुन मिला दिल को जब देखा सपनो को मुक्कद्दर बनते, तेरे वजुद में ढलते!