हुई कुछ इस तरह मुलाक़ात उससे के न जाने कब उसकी शख़्सियत को हम ख़ुदा मान बैठे।
यूँ तो उससे नायब कई सितारे देखे थे आसमानो में हमने,
पर जब उसकी शख्सियत इस दिल को छु गयी, तब वही एक अनोखा सितारा बनके मेरे दिल को रोशन करने लगा।
नशा था उसका ऐसा जो शाम ढलते ढलते और कामयाब होने लगा।
रूबरू हुआ उससे ये दिल ए नादाँ मेरा जब वो मेरे नसीब में धीरे धीरे खुदा की रज़ा में तब्दील होता गया।
सजदा किया उस वक़्त उस खुदा को मैने जब उसने मेरी तमन्ना को उसके वजूद का एक नायाब अक्स दे दिया।
मेरी मुहब्बत की स्याही से उसका नाम मेरी रूह पे अंकित कर दिया।
अंकित हुआ उसका नाम मेरे दिल पर।
या था वह अंकित जिसका सपना कभी इन आँखों ने एक कच्ची लड़खड़ाती उम्र में देखा था,
वही सपना सच हुआ और उसका नाम मेरे दिल पर अंकित हुआ।
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