2 May 2015

कुछ अधूरा, अनकहा सा.......

तेरे अक्स से मोहब्बत हुई मुझे, ये मेरी खता है 
तुझसे ज़िन्दगी की अधूरी आस टूटी 
ये मेरा  मुक्क़दर है 
तुझसे दिल जुदा  ना हो सका कभी, इसमें तेरी नहीं मेरी खता है.


तेरा सुरूर छाया था उस वक़्त, जब दिल को कभी  ज़रूरत थी,
तेरा नशा था तब, मदिरालय से प्रेम था जब. 
अब  नशा छूटा है, और ये  दिल टुटा है 
टूटे हुए तारे की तरह, मेरा वजूद आज फिर से रोया है.


तुझसे मोहब्बत  की बेपनाह शायद इस घमंडी दिल को रास  ना आया.
सजदा किआ उस  वक़्त, जब तेरा साया पास न रहा 
अब ना तेरा साया है, न मेरे  प्यार की परच्छाई मुझ पर. 
अब तो हर वक़्त धुंदले बादलों में से एक आस की ख़्वाहिश है, 

मत हस मुझ पर क्यूंकि ये मेरी नहीं, आज तेरे  प्यार की नुमाइश है. 

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