तनहा रातो में एक अंजाना सा खयाल आता है ।
कभी हसता है तो कभी इन आँखों को रुला जाता है।
ख्याल है वो किसी अजनबी का,
न जाने कब वो अजनबी इस शरीर की साँसे बन जाता है।
कहता है वो अजनबी की करता है, मुझसे प्यार।
फिर क्यों उसकी आँखे एक झूठा सा एहसास दिलाती है।
वो कहता है उसकी साँसे चलती है सिर्फ मेरा साथ पाने के लिए,
फिर क्यों मेरा साथ वो इन अनजानी रहो में छोड़ जाता है।
उसको पाने की हसरत कभी आती है, कभी जाती है।
समंदर की लहरो की तरह मेरे दिल की तन्हाई का मज़ाक बना जाती है।
उठता है एक दर्द इस दिल में,
फिर उस दर्द का आलम अनकही सी तन्हाई के समंदर में डुबो जाता है।
चुटकुला है ज़िन्दगी का मुहब्बत उसके लिये शायद इसीलिए वो मुझे हर बार आज़माता है।
शायद है ये मेरी तन्हाई का समंदर ही जो हर बार दिल टूटने पर मेरा साथ निभाता है।
No comments:
Post a Comment
Please do comment if my words reach to your heart.. Alternatively you can provide suggestions too... You are most welcome!!