साहिल ,
शाम का बढ़ता अँधेरा तेरे चेहरे के उजाले से रौशन हो जाता है,
तुझमे समाता है दिल मेरा, तो कभी समंदर के किनारों में ढूंढता है तेरा आशियाना
इस दिल की ख़्वाहिश तो हर पल तेरे होने का सुकुन महसूस करना है,
ये एहसास और कुछ नहीं, मेरी ज़िन्दगी जीने का वजूद है!
तेरे सपने सजाए थे कभी इन नन्ही आँखों ने, जब दिल ने दिल को समझा था!
तेरा अक्स बुना था मैंने अपने ख्वाबो के धागो से, जब तेरा एहसास ही मेरा सबकुछ था!
अकस्मात् ही टकरा गया तू मुझसे इस भीड़ भरी दुनिया में!
सुकुन मिला दिल को जब देखा सपनो को मुक्कद्दर बनते, तेरे वजुद में ढलते!
तेरा एहसास मुझे छू गया कुछ इस कदर की ख़ुदा ने भेजा तुझे ज़िन्दगी में कुछ इस तरह,
जैसे समंदर में मोती बन गया, स्वाती की बून्द पाकर!
जैसे नभ खुश हो गया, धरा को पाकर!
जैसे लहर की ज़िन्दगी सँवर गयी साहिल का साथ पाकर!
तुम्हारी,
लहर !!
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Very nice one.
ReplyDeleteThank you so much Jyoti.. :)
DeleteBohot khoob likha hai :)
ReplyDeleteThanks a lot Shweta.. :)
DeleteBahut Khoob
ReplyDeletehttp://anoopsuriji.blogspot.in
Thank you so much Anoop... :)
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